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A man with golden touch…

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आज के भागमभाग वाले दौर में किसी के पास इतना समय नहीं है कि वो दूसरों पर ध्यान दे,ऐसे में दूसरों से मदद की उम्मीद करना बेमानी है…लेकिन अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं,जो खुद से पहले दूसरों का सोचते हैं और मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटते। ऐसे ही हैं, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में रहने वाले भारतीय मूल के आभूषण कारोबारी फिरोज जी मर्चेंट। जो चर्चा में आए 3700 जरूरतमंद लोगों की मदद करने को लेकर।

पिछले कुछ महीने पहले दुबई में आई आर्थिक मंदी के कारण बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी चली गयी, जिस कारण लोग अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर पाये और उन्हें जेल जाना पड़ा। ऐसे लोगों को फिरोज मर्चेंट ने कानूनी और आर्थिक मदद उपलब्ध कराया। साथ ही उन्हें न केवल जेल से रिहा कराया, बल्कि उन्हें उनके घर भेजने तक के तमाम इंतजाम किये. इस काम में उन्होंने कई करोड़ खर्च किए। इसके अलावे मर्चेंट जेल में बंद ऐसे कैदियों की भी मदद की, जो होम लोन, कार लोन आदि का चेक बाउंस होने या क्रेडिट कार्ड या शिक्षा ऋण का भुगतान नहीं करने के कारण जेल में बंद थे। लेकिन स्मगलर,  ह्त्या,  दुष्कर्म और नशीले पदार्थो के सेवन करने वाले कैदियों के लिए उनके दिल में कोई जगह नहीं है। इस तरह के कैदियों पर  वो ध्यान नहीं देते हैं।

मर्चेंट के अनुसार कैदियों की दुर्दशा कैसी होती है,  किसी से छुपी नहीं है और जो कैदी सजा की अवधि पूरी करने के बाद भी केवल इसलिए जेल में बंद हैं, क्योंकि उनके पास घर जाने के लिए पैसे नहीं हैं….हॉलकि यहां की जेलों में शानदार सुविधाएं है और यहां के जेल पूरी तरह से वातानुकूलित हैं एवं कैदियों को बढ़िया खाना मिलता है और शिक्षा भी। फिर भी, जेल तो जेल है। जो घर नहीं बन सकता। इसलिए इन लोगों को इनके घर परिवार से मिलाया जाना चाहिए। वहीं ऐसा भी नहीं है कि मर्चेंट ने जिन लोगों की मदद की, वे सिर्फ भारतीय थे। भारतीयों के अलावे उन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका समेत कई अन्य देशों के लोगों की भी मदद की है। फिरोज मर्चेंट ने वर्ष 2011 से अब तक अलग-अलग देशों के करीब 3700 ऐसे कैदियों की मदद की है, जो पैसा नहीं होने की वजह से अपना ऋण नहीं चुका पा रहे थे और जेलों में बंद थे। उन्होंने इस साल 700 कैदी रिहा कराये और इन कैदियों का ऋण चुकाने और हवाई टिकट का बंदोबस्त करने पर करीब छह करोड़ रुपये खर्च किये। फिरोज मर्चेंट विभिन्न दान के माध्यम से कैदियों के लिए हर साल Dh3 मिलियन (यूएस $ 816,704) खर्च करने की उम्मीद रखते हैं और फिरोज चाहते है कि इस साल करीब 1000 कैदियों का ऋण वो चुका सके ताकि इन बिछड़े कैदियों की मुलाकात अपनों से हो सके।

संयुक्त अरब अमीरात में 1989 में जेवरात का कारोबार शुरू करने के लिए मुंबई से दुबई  आए फिरोज मर्चेंट की कंपनी प्योर गोल्ड ज्वेलर्स है। ये पहली कंपनी है, जिसने चार बार ‘बेस्ट सर्विस परफॉर्मेंस ब्रांड’ का अवार्ड जीता है उनकी कंपनी को यह अवार्ड वर्ष 2007-08, 2008-09, 2009-10 और 2011-12 में मिला। इसके अलावे यूएई ज्वेलरी सेक्शन में भी उनकी कंपनी ने वर्ष 2009 और 2010 में ‘बेस्ट कस्टमर सर्विस’ अवार्ड मिल चुका है। उनका कहना है कि मैंने शुरू से अपने कैरियर की शुरुआत की है, गरीबी क्या है ये जानता हूं, इसलिए हम अपने मानवता का धर्म नहीं भूल सकते ।

संयुक्त अरब अमीरात में शीर्ष 100 भारतीय नेताओं की फोर्ब्स उद्घाटन सूची पर नंबर 14 वें स्थान पर काबिज फिरोज की ये अनोखी सेवा आज उन्हें भारत सहित कई देशों में एक अच्छे और नेकदिल इंसान के तौर पर पहचान दिला रही है। जिसके वो हकदार भी है। फिरोज आज भी इस मिशन में जी जान से लगे  हुए है। अरब में निताकत कानून के आने के बाद लाखों लोगों की नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है। लेकिन फिरोज मर्चेंट के रहते उन्हें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं हैं। आने वाले समय में फिरोज ऐसे लोगों की मदद करते देखे जा सकते है, जिनका इस परदेश में कोई नहीं है, फिर भी फिरोज जी मर्चेंट के रूप में एक नेक दिल इंसान मौजूद है जो उन्हें उनके घरों का रास्ता दिखा सकता है।

तो इस स्वतंत्रता दिवस, हमारी तरफ से फिरोज मर्चेंट जैसे भारतीय को सलाम, जो परदेश में रहने के बाद भी अपनी संस्कृति नहीं भूले हैं और मानवता की राह में आगे बढ़े जा रहे हैं।

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